Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -10-Jun-2022 - नेकी (एक व्यंग्य)

नेकी कर दरिया में डालो
कहावत पुरानी हो गई। 
आज के जमाने में यह तो,
ना जाने कहां पर खो गई?
किसी का भला जो करते लोग,
बुरा भला उन्हीं को कहते हैं।
शीशे के घर में खुद रहकर भी,
पत्थर दूसरों पर ही फेंके हैं।
रार दूजो की सुलझाते लोग नेक,
फिर भी उनको ताने मिलते अनेक।
रोड़ा दूजों के पथ का चाहे हटाए,
बेअक्ल तो यहां वही कहलाए।
जमाना नेकी का अब चला गया,
सत्य भी तो पत्थरों से मला गया।
वक्त ऐसा आया देखो संसार में,
इंसान भी इंसान से छला गया।
जीवन एक पल का खेल यारों,
यहां चलती वक्त की रेल यारों,
मोल प्रेम का कोई होता नहीं,
दिल से दिल का मेल नहीं यारों।
नेकी कर दरिया में डालो
कहावत पुरानी हो गई। 
आज के जमाने में यह तो,
ना जाने कहां पर खो गई?


दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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9 Comments

Seema Priyadarshini sahay

11-Jun-2022 04:50 PM

Nice

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Swati chourasia

11-Jun-2022 10:51 AM

Very beautiful 👌

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Abhinav ji

11-Jun-2022 09:25 AM

Nice👍

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